दीपावली पर निबन्ध

दीपावली पर निबन्ध कैसे लिखें एक सम्पूर्ण जानकारी

आज के इस आर्टिकल में हम दीपावली पर निबन्ध कैसे लिखें की जानकारी पढ़ने वाले हैं यदि आप दीपावली पर निबन्ध लिखना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।

दीपावली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह दुनिया का सबसे चमकीला त्योहार है।

विभिन्न धर्मों के लोग दीपावली मनाते हैं। ये त्योहार अंधेरे पर उजाले की जीत का प्रतीक है। इसका मतलब बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की जीत है। दीपावली को रोशनी के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली शब्द का मतलब है दीपों की पंक्तियां/श्रखला।

दीपावली कब मनाई जाती है ?

यह त्योहार हिंदू महीने के कार्तिक मास में मनाया जाता है जो अक्टूबर या नवंबर में आता है।

दीपावली में लोग क्या क्या करते है ?

त्योहार से पहले लोग अपने घर की साफ-सफाई और सजावट करते हैं।

दिपावली के दो दिन पहले धनतेरस मनाते है। इस दिन लोग अपने घरो मे झाड़ू और बर्तन खरीदकर लाते है। इस त्योहार में लोग अपने घरों और दुकानों को दीयों से उजाला करते हैं।

इस दिन लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान गणेश और धन, ज्ञान के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते है और पर्श पर रंगोली से सजाते है।

दीपावली क्यों मनाते है एवं कहानी :

हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्य के दिन श्री राम ने अपने भाई लक्मण और अपने वानर सेना के साथ रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी और अयोथ्या लौटे थे। इस दिन रावण पर जीत और अयोध्या आने की ख़ुशी में अयोध्या वाशी झूम उठे और उनके स्वागत में दीयों के प्रकाश से पुरे अयोद्या को जगमगाया।

इसलिए इस दिन राम की जीत पर यह त्यौहार मनाया जाता है।

दीपावली मनाने की वजह क्या है ?

हमारे पूर्वी हिस्से में स्थित ओडिशा, बंगाल  इस दिन माता की शक्ति को महाकाली का रूप धारण करते है और लक्ष्मी के स्थान पर काली की पूजा करते हैं।

भारत के उत्तरी हिस्से में स्थित पंजाब के लिए दिपावली बहुत महत्वपूर्ण रखता है क्योंकि 1577 में इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी और इसी दिन पर सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को जेल से आजाद किया गया था।

भारत के दक्षिण हिस्से  में स्थित तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि जगह पर दिवाली के दिन द्वापर में कृष्ण द्वारा नरकासुर के मृत्यु के खुशी में कृष्ण की पूजा करके मनाते हैं।

विदेशों में दीपावली कैसे मनाया जाता है ?

  • नेपाल में भी दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है नेपाल में इस दिन नेपाली कुत्ते को सम्मानित करते हुए उनकी पूजा करते है इसके अलावा शाम को दीपक जलाते हैं।
  • मलेशिया में हिन्दुओं की संख्या ज्यादा है इसलिए इस दिन के सरकारी छुट्टी होते है और दीपावली त्यौहार को खूब धूमधाम से मनाते है।

दीपावली का धार्मिक महत्व :

इस त्योहार के धार्मिक महत्व में भी अंतर है यह भारत के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है दिपावली के साथ कई देवी-देवताओं, संस्कृतियों और परंपराओं का जुड़ाव है।

दीपावली का महत्व :

इस दिन घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष साफ – सफाई की जाती है । साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परिवार से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दीपावली पर ध्यान रखने वाली बातें :

  1. हमें ज्यादा पटाखे नहीं जलाने चाहिए क्योंकि ध्वनि प्रदूषण होता है।
  2. अगर पटाखे जलाते हो तो कम जलाये और सावधानी बरते।
  3. किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए।
  4. घर में आएं मेहमान के साथ अच्छा व्यवहार रखें।
  5. घर में घर के बने पकवान का प्रयोग करें।
  6. इस दिन लड़ाई झगड़ा करने से बचें।

क्या आप जानते है दीपावली पांच दिनों का त्यौहार है :

धनतेरस –

धनतेरस जिसका अर्थ है धन और तेरस का अर्थ तेरहवां, कार्तिक के अंधेरे पखवाड़े के तेरहवें दिन और दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है।  इस दिन कई हिंदू अपने घरों की सफाई करते हैं।

वे दीये, छोटे मिट्टी के तेल से भरे दीये स्थापित करते हैं, जिन्हें वे अगले पांच दिनों तक लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति के पास जाते हैं। और इस दिन घरों में सुन्दर रंगोली बनाई जाती है धनतेरस की शाम परिवार लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं।

छोटी दीपावली :

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है, यह उत्सव का दूसरा दिन है। कुछ हिंदुओं के लिए  यह अपने पूर्वजों की अपवित्र आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करने का दिन है। छोटी दिवाली दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने और उपहारों के आदान-प्रदान के लिए भी एक दिन है।

लक्ष्मी पूजन :

 यह वह दिन है जब हिंदू, जैन और सिख मंदिर और घर रोशनी से जगमगाते हैं, जिससे यह रोशनी का त्योहार बन जाता है। परिवार के सबसे छोटे सदस्य इस दिन अपने बड़ों सदस्यों से मिलने जाते हैं। छोटे व्यवसाय के मालिक धनतेरस और लक्ष्मी पूजन के बीच अपने कर्मचारियों को उपहार देते हैं।

इस दिन दुकान या तो खुली या बंद नहीं होती हैं, जिससे कर्मचारियों को पारिवारिक समय का आनंद मिलता है। दीपावली की रात में अपने घरों और मंदिरों में मोमबत्ती और मिट्टी का दीपक जलाएं शाम को उत्सव मनाने वाले नए कपड़े किशोर लड़कियां और महिलाएं, विशेष रूप से, साड़ी और आभूषण पहनती हैं।

शाम के समय, परिवार के सदस्य लक्ष्मी पूजन के लिए इकट्ठा होते हैं। पूजा समारोह के दीयों का उपयोग तब और अधिक मिट्टी के दीयों को जलाने के लिए किया जाता है, उन्हें मंदिरों और घरों के दहलीज और पैराफिट में पंक्तियों में रखा जाता है। पूजा के बाद, लोग बाहर जाते हैं और एक साथ पटाखे जलाकर जश्न मनाते हैं, और फिर मिठाई साझा करते हैं।

दिपावली की रात, भारत के अधिकांश हिस्सों में अनुष्ठान लक्ष्मी को उनके साफ-सुथरे घरों में स्वागत करने और आने वाले वर्ष के लिए  खुशी लाने के लिए समर्पित हैं।  प्रमुख मंदिरों और घरों को रोशनी से सजाया जाता है, सभी के साथ उत्सव के भोजन साझा किए जाते हैं, दोस्तों और रिश्तेदारों को याद किया जाता है और उपहारों के साथ दौरा किया जाता है।

 गोवर्धन पूजा

उत्तर, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों के कुछ ग्रामीण समुदायों में, चौथे दिन गोवर्धन पूजा को मनाया जाता है, हिंदू भगवान कृष्ण की कथा का सम्मान करते हुए, जो गायों और कृषक समुदायों को इंद्र के क्रोध से उत्पन्न लगातार बारिश और बाढ़ से बचाते हैं जो उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर सिद्ध किया।

कृष्ण गोवर्धन पहाड़ को धारण करते हैं जो गाय के गोबर, चावल और फूलों से बना होता है। यह दिन विधि पूर्वक पत्नी और पति के बीच के बंधन को मिलाता है और कुछ हिंदू समुदायों में, पति अपनी पत्नियों को उपहार के साथ इसे मनाते हैं।

भैया दूज :

भाई दूज पर एक बहन अपने भाई को खाना खिलाती है। त्योहार के अंतिम दिन भाई दूज भाई तिलक यह बहन-भाई के बंधन को रक्षाबंधन की भावना के समान बनाता है, लेकिन यह भाई है जो बहन और उसके परिवार से मिलने के लिए यात्रा करता है।

इस दिन परिवार की महिलाएं इकट्ठा होती हैं, अपने भाइयों की भलाई के लिए पूजा करती हैं, फिर अपने भाइयों को अपने हाथों से खिलाने और उपहार प्राप्त करने की रस्म अदा की जाती है।

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निष्कर्ष :

अतः हम कह सकते है की दीपावली खुशियों का त्योहार है। दीपावली से जुडी कहानियाँ हमें सही रास्ते पर चलने की सीख देती है और अँधेरे पर उजालें का प्रतिक है।

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