कम्प्यूटर की जनरेशन

कम्प्यूटर की जनरेशन क्या है, कार्य शैली,लाभ विशेषता

आज के इस आर्टिकल में हम कम्प्यूटर की जनरेशन क्या है की जानकारी पढ़ने वाले हैं यदि आप कम्प्यूटर की जनरेशन की जानकारी जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।

कम्प्यूटर की जनरेशन क्या है ?

अगर हम कंप्यूटर की पीढ़ी के बारे में बात करें तो उससे पहले हमें कंप्यूटर का निर्माण क्यों और किन परिस्थितियों में किया गया इस बात का ज्ञान होना अति आवश्यक है।

क्योकिं कंप्यूटर की शुरुआत तथा उसका निर्माण किस प्रकार हुआ था हम कंप्यूटर से पहले उस यंत्र के बारे में चर्चा करेंगे जिसके निर्माण होने के पश्चात कंप्यूटर की पीढ़ी का किस प्रकार और केसे निर्माण हुआ था।

सर्वप्रथम सन 1946 में उस इलेक्ट्रॉनिक यंत्र का निर्माण किया गया जो निर्वात नली के नाम से विख्यात है और निर्वात नली से निर्मित कंप्यूटर जिसका नाम एनियक कंप्यूटर था।

कंप्यूटर को और अधिक प्रकार से रूप देने के लिए कंप्यूटर के महत्वपूर्ण यंत्र ने अपना बहुत बड़ा तथा महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जिससे व्यक्ति को रोजमर्रा के कार्यों में सफलता और बहुत कुछ सीखने को मिला जिससे उनके कार्य करने का समय और दबाब कम हुआ उसके फलस्वरूप उनके स्वास्थ में सुधार आया और कम समय में ज्यादा काम होने लगा।

कंप्यूटर की पीढ़ीयाँ व् समय :

कंप्यूटर की बात करें तो अभी तक कंप्यूटर की पांच पीढ़ी आ चुकी है वो कौन सी पीढ़ी है व कब से कब तक इन पीडियों का समय रहा है वो हमने नीचे दिया है आपका जानना जरुरी है, ये आपके जनरल नॉलेज में पूछें जा सकते है।

  • पहली पीढ़ी  [First Generation]        –     1946-1956
  • दूसरी पीढ़ी  [Second Generation]    –     1956-1964
  • तीसरी पीढ़ी  [Third Generation]       –     1964-1970
  • चौथी पीढ़ी  [ Fourth Generation]      –     1970-1981
  • पाँचवी पीढ़ी [ Fifth Generation]        –     वर्तमान के कंप्यूटर

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी ( First Generation of Computer) :

First Gen

कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की बात करें तो इसका निर्माण 1946 से 1956 का है।

इसको बनाने में निर्वात नली का अधिक उपयोग किया गया। जिसको सन 1946 में  प्रोफेसर जोहन एंब्रोस फ्लेमिंग ने किया था इस पीढ़ी के अंतर्गत सिर्फ ऐनियक कंप्यूटर का नहीं बल्कि अन्य और कंप्यूटर का निर्माण किया।

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बड़े होते थे जिनके रख-रखाव के लिए अधिक मात्रा में जगह की आवश्यकता होती थी इसमें आंकड़े का भंडारण नहीं रख पाते क्योंकि इसमें स्मृति क्षमता कम होती है और यह आम आदमी के पास होना बहुत बड़ी बात मान जाती थी तथा प्रथम पीढ़ी का निर्माण 1946 एकर्ट और मुचली के एनियक कंप्यूटर से शुरुआत हुई।

उदाहरण :

  • एडसेक- पूर्ण प्रपत्र ( EDSAC – Electronic Delay Storage Automatic Calculator)
  • एडवेक -पूर्ण प्रपत्र (EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic computer)
  • यूनिवेक – पूर्ण प्रपत्र(UNIVAC – Universal Automatic Computer)

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के गुण  :

  • निर्वात नली का उपयोग
  • पंच कार्ड पर आधारित
  • संकलन के लिए मैग्नेटिक ड्रम
  • एयर कंडीशनर का उपयोग
  • मशीनी भाषाओं का प्रयोग

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की कमियाँ :

  • प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर आकर में बहुत बड़े होते थे।
  • इनकी कार्यशीलता बहुत धीमी थी।
  • इन कंप्यूटर को चलाने के लिए एयर कंडीशनर का प्रयोग करना बहुत ही जरुरी था।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Second Generation of Computer) :

Second-Generation

सन 1956 में कंप्यूटर की दूसरी जनेरेशन का निर्माण हुआ और 1964 तक ये कंप्यूटर रहें।

प्रथम कंप्यूटर पीढ़ी के पश्चात इन द्वितीय कंप्यूटर को बनाने में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया जैसे प्रथम पीढ़ी में निर्वात नली का उपयोग किया गया था अब उसी स्थान पर ट्रांसिस्टर का उपयोग हुआ ट्रांजिस्टर का अविष्कार 1947 में विलियम शॉकले ने किया था जो दूसरी पीढ़ी के लिए अधिक महत्वपूर्ण था।

द्वितीय पीढ़ी में ट्रांजिस्टर के उपयोग से कंप्यूटर में तीव्र गति तथा विश्वसनीयता बढ़ गई। निर्वात नली की तुलना में प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर से आकार में छोटे हुए।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषता :

  • यह लघु तथा कम ऊर्जा से चलने वाले कंप्यूटर होते हैं।
  • पहली पीढ़ी की तुलना में लागत बहुत कम है।
  • इनमें तीव्र गति तथा विश्वसनीयता पहली पीढ़ी की तुलना में ज्यादा होती हैं।
  • कोबोल और Fortran जैसी भाषाओं का विकास हुआ।
  • संचय यंत्र तथा छपाई जैसे प्रणाली का उपयोग आदि।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Third Generation of Computer ) :

Third-Gen

इस पीढी के दौरान कंप्यूटर को IC (इंटीग्रेटेड सर्किट) की प्राप्ति हुई।

तीसरी पीढी की शुरुआत 1965 से लेकर 1971 तक है तथा इसका अविष्कार टैक्सास इंस्ट्रूमेंट कंपनी में काम कर रहे इंजिनियर जैक किल्बी ने किया।

इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ICL (इंटीग्रेटेड सर्किट) 2903, ICL 1900, UNIVAC 1108 तथा System 1360 महत्वपूर्ण थे।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषता :

  • इनका आकार और वजन कम होता है जिससे रख-रखाव में कठिनाई नहीं थी।
  • ये ज्यादा विश्वसनीय थे।
  • पोर्टेबल होते थे।
  • उच्च भाषाओं का प्रयोग किया जा सकता था।
  • तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर दूसरी पीढ़ी के तुलना में काफिर छोटे व् हलके थे।
  • पहली पीढ़ी व् दूसरी पीढ़ी के तुलना में इनकी लागत कम थी।
  • इनमे विजली कम खपत होती थी और हीट की सम्भावना न के बराबर थी।

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर :

Fourth-genration-computer

चतुर्थ पीढ़ी में आने वाले वे कम्प्यूटर जिनकी स्थापना 1970  से 1981  तक के बीच में हुई थी। इसलिए इन्हे चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर कहा गया है। इसकी महत्वपूर्ण बात यह है की चौथी पीढ़ी के  IC (इंटीग्रेटेड सर्किट) को विस्तार रूप से निर्मित किया गया।

जिसे बृहतकाय IC (इंटीग्रेटेड सर्किट) कहा गया है।

इंटीग्रेटेड सर्किट से ज्यादा से ज्यादा कार्य करने की क्षमता होती है इन कम्प्यूटर को माइक्रो कंप्यूटर के नाम से जाना जाता है।

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर विशेषता :

  1. चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर को आम जनता के उपयोग में ला सकते है।
  2. ये देखने में तीसरी पीढ़ी से बनावटी में अच्छे व् हल्के थे।
  3. पिछली पीढ़ी की तुलना में ये कंप्यूटर अंकों का गणना करने में एक दम सटीक थें।
  4. इन कंप्यूटर को बिना तार के उपयोग किया जाता है।
  5. लार्ज इंटीग्रेट का उपयोग आदि।
  6. तीसरी पीढ़ी की तुलना में ये काफी किफायती हो गए थे।
  7. इस पीढ़ी में java, C, C++, PHP, DBASE, का उपयोग किया गया।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर :

कम्प्यूटर की जनरेशन

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर जैसे डेस्कटॉप, लेपटॉप, क्रोमबुक, अल्ट्राबुक, टैबलेट आदि शामिल है।

पाँचवी पीढ़ी के कंप्यूटर वर्तमान में अधिक उपयोगी तथा शक्तिशाली है और आने वाले समय में प्रयोग में लाए जाने वाले उन कंप्यूटर को रखा गया है जो बहुत ही कार्यरत होते है।

इस पीढ़ी के कंप्यूटर इतने ज्यादा कार्यशील है की ये निम्न प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है जैसे :

  • इमारत निर्मित।
  • बड़ी संख्या में अकाउंटिंग।
  • इंजिनियर।
  • डिजाइनिंग आदि।

कंप्यूटर की सहायता से किसी भी प्रकार की सूचना राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय किसी भी जगत से जनता तक आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषता :

  • इनकी कार्य करने की क्षमता अधिक होती है।
  • इसके उपयोग से मल्टीमीडिया जेसे ध्वनि, ग्राफिक आदि का विकास हुआ।
  • और इनको कही भी एक व्यक्ति द्वारा बड़ी आसानी से स्थानांतरण किया जा सकता है।
  • इसमें बहुत ही सरल भाषा का उपयोग किया गया है।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर से हानि :

  1. इसके ज्यादा उपयोग से मनुष्य के सोचने की क्षमता कम हो सकती हैं।
  2. नेत्रों की हानी होने की संभावना होती हैं।
  3. इंसान के शारीरिक क्षमता पर असर पड़ सकता है।

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निष्कर्ष:

आशा करता हूँ की आपको कम्प्यूटर की जनरेशन की जानकारी सही लगी होगी।

यदि सही लगे तो अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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