NATO

NATO क्या है ? नाटो के सदस्य देश और इसकी स्थापना

क्या आप विश्व की जानकारी रखना पसंद करते हैं। यदि हाँ तो मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विश्व की NATO संस्था से परिचित कराऊंगा।

क्योंकि आपका यह जानना बहुत जरूरी है कि नाटो संस्था की स्थापना किस उद्देश्य को पूरा करने के लिए की गई है।

इस संस्था का किस प्रकार विश्व के कुछ देशों में प्रभाव पड़ता है इन्हीं सब विषयों को ध्यान में रखते हुए मैंने इस आर्टिकल को सुव्यवस्थित हेडिंग की सहायता से विस्तार रूप में वर्णित किया है जिससे आपको नाटो क्या है जानकारी लेने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी।

NATO क्या है?

NATO एक विश्व स्तरीय संगठन संस्था है इसका कार्य इसके अंतर्गत आने वाले देशों को यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी प्रकार की आपत्ति एवं आपदा आने पर नाटो अपनी सैन्य और राजनीतिक विश्लेषण के जरिए उन्हें सुरक्षा और समय आने पर स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायता करेगा।

नाटो की फुल फॉर्म:

N- North
A- Atlantic
T- Treaty
O – Organization

और हिंदी में इसको उत्तर अटलांटिक संधि संगठन कहा जाता है।

नाटो संस्था की स्थापना कब हुई थी ?

विश्व स्तरीय नाटो संस्था की स्थापना 4 अप्रैल 1949 में 12 मुख्य और ताकतवर देशों द्वारा की गई थी परंतु इससे पहले 30 देशों की सदस्यता रही थी नाटो संस्था को स्थापित करने में।

नाटो संस्था की स्थापना किसने की ?

क्या आप जानते हैं नाटो संस्था की स्थापना 12 देशों के हस्ताक्षर पर वाशिंगटन में हुई थी इस कार्य में कुछ देश शामिल थे जैसे – बेल्जियम, फ्रांस, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैं, इटली, नार्वे, पुर्तगाल तथा संयुक्त राज्य अमेरिका इन सभी देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है नाटो संस्था की स्थापना करने में।

नाटो संस्था का संचालन 

नाटो संस्था को संचालित करने के लिए नाटो संस्था के सदस्य देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

सभी सदस्य देश एक चौथाई इसके बजट का हिस्सा इन देशों द्वारा उपलब्ध कराया जाता हैं परंतु संयुक्त राष्ट्र अमेरिका नाटो संस्था को संचालित करने के लिए दो से तीन चौथाई भाग अमेरिका द्वारा फंड दिया जाता है।

नाटो संस्था का मुख्यालय:

NATO देश का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में स्थित है क्योंकि सभी देशों चाहते थे की किसी एक विशेष देश में इसका मुख्यालय स्थित होना चाहिए जिसके बाद बेल्जियम देश को इस कार्य के लिए बहुमत प्राप्त हुई और सभी राष्ट्रीय संगठन ने अपनी रजामंदी में नाटो संस्था के मुख्यालय के लिए बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर को चुना था।

नाटो संस्था के सदस्य देशों की नाम :

  • अल्बानिया
  • बेल्जियम
  • बुल्गारिया
  • कनाडा
  • क्रो एशिया
  • चेक प्रतिनिधि
  • डेनमार्क
  • एस्तोनिया
  • फ्रांस
  • जर्मनी
  • यूनान
  • हंगरी
  • आइसलैंड
  • इटली
  • लातविया
  • लिथुआनिया
  • लक्समबर्ग
  • मोंटेनेग्रो
  • नीदरलैंड
  • उत्तर मैसेडोनिया
  • नॉर्वे
  • पोलैंड
  • पुर्तगाल
  • रोमानिया
  • स्लोवाकिया
  • स्लोवेनिया
  • स्पेन
  • तुर्की
  • यूनाइटेड किंगडम
  • संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देश शामिल हैं।

नाटो के गठन का उद्देश्य:

अगर आप नाटो संस्था के उद्देश्य के बारे में जानना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आपको इसके इतिहास पर एक नजर डालनी होगी क्योकिं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरा 1939 से 1945 में यह द्वितीय विश्वयुद्ध दो बड़ी ताकत के बीच हुआ था पहले एलाइड फोर्सेस तथा दूसरी एक्सिस पावर। एलाइड फोर्सेज के अंतर्गत यूएसए ब्रिटेन, फ्रांस तथा यूएसएसआर शामिल था।

जबकि एक्सेस फोर्सेस में जर्मनी, इटली तथा जापान शामिल था USA ने नागासा के 2 शहरों जापान और हिरोशिमा पर बम से आक्रमण किया था तत्पश्चात एक्सेस पावर ने एलाइड फोर्सेज के सामने अपना समर्पण कर दिया।

उसके बाद चार देश बच्चे हुए थे जिनमें से ब्रिटेन और फ्रांस की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी और बाकी बचे दो देश यूएसए और यूएसएसआर जो कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश थे उनके बीच मतभेद होने के कारण यूएसए ने अपनी सैन्य क्षमता को अधिक ताकतवर बनाने के लिए नाटो संस्था की स्थापना की।

जिसका उद्देश्य पश्चिमी यूरोप में सोवियत संघ साम्यवादी विचारधारा को रोकना था एवं सैन्य और राजनीतिक तौर तरीकों से अपने सदस्य राष्ट्र की रक्षा और स्वतंत्रता प्रदान करना था।

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अंतिम शब्द :

आशा करता हूँ की विश्व स्तरीय NATO संस्था की जानकारी आपके सामान्य ज्ञान बढ़ाने में सक्षम रही होगी तथा यह नाटो संस्था की जानकारी आपको बेहद ही पसंद आई होगी।

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