Scanner क्या है

Scanner क्या है, स्कैनर के कार्य, प्रकार एवं उपयोग

आज के इस आर्टिकल में हम Scanner क्या है की जानकारी पढ़ने वाले हैं यदि आप स्कैनर की जानकारी जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।

इस डिवाइज के बारे में जानना उतना ही जरूरी है जितना कंप्यूटर से जुड़े और डिवाइज के बारे में जानकारी प्राप्त करते हों।

Scanner क्या है ?

स्कैनर एक इलेक्ट्रोनिक इनपुट डिवाइस होता हैं।

यह किसी भी फ़ोटो को एडिट करने के लिए कंप्यूटर में कैसे डालते हैं इसके लिए आपकों स्कैनर की अवश्यकता होती हैं। जिसकी सहायता से आप इस कार्य को पूर्ण कर सकते है।

और कम्प्यूटर इसकी सहयाता से फ़ोटो को डिस्टेली फॉर्मेट में बदल देता है और फ़ोटो कंप्यूटर में पहुंच जाती है और फ़ोटो को एडिट तथा प्रिंट कर पाते है।

इसके अलावा स्कैनर को बहुत से कामों में उपयोग किया जाता हैं जिसका हम नीचे विस्तार से वर्णन करेंगे।

स्कैनर को किसने और कब बनाता था ?

Scanner की खोज चाहें वह बीपर या पेजर हो इनकी खोज 1921 में ए.एल। ग्रास द्वारा की गई थी और इसका इस्तेमाल 1950 से 1960 में शुरू हुआ ओर 1980 तक इसे पूर्ण रूप से उपयोग में लाया गया।

स्कैनर का क्या कार्य होता है ?

डॉक्यूमेंट या फ़ोटो जैसी किसी भी दस्तावेज को स्कैनर में डालने पर उसमें एक लाईट होती है जिसका कार्य डॉक्यूमेंट या फ़ोटो को रीड करती है और उसे डिजिटल फोम में परिवर्तित कर देता है सबसे लास्ट में स्केनर दस्तावेज़ को असल रूप में परिवर्तित करता है।

स्कैनर के कितने प्रकार है ?

स्कैनर को 6 हिस्सों में बाटा गया है। और इसके अलग कार्य भी होते हैं जिनके बारे में हम विस्तार से जानेंगे।

  1. हैंड हेल्ड स्कैनर :

Hand scanner

हैंड हेल्ड स्कैनर का साइज छोटा होता हैं और इसका वजन कम होता है हैंड हेल्ड स्कैनर से हम दस्तावेज़ के कम भाग में स्कैन कर सकते है।

स्कैनर की कीमत इसके वजन और साइज़ पर निर्भर करती है जैसे यह छोटे होते हैं तो यह कम कीमत वाले है।

  1. फ्लैट बेड स्कैनर :

flatble scaner

फ्लैट बेड स्कैनर साइज़ में बडे़ होते है अधिक बडे़ होते हैं।

और यह अधिक वजनीले होते है फ्लैट बेड स्कैनर से हम डॉक्यूमेंट तथा फ़ोटो के ज़्यादा भाग में स्कैन कर सकते है।

फ्लैट बेड स्कैनर ज़्यादा भाग को स्कैन कर सकता है और यह अधिक जगह लेता है जिसके कारण इसकी कीमत अधिक तय की होती है

  1. ड्रम स्कैनर :

ड्रम स्कैनर साइज़ में मीडियम होते है ड्रम स्कैनर का वजन कम न ज़्यादा और इसका वजन कम होता है ड्रम स्कैनर में मीडियम साइज़ के दस्तावेज़ को स्कैन किया जा सकता है। ड्रम स्कैनर की कीमत न कम न ज़्यादा होती यह सीमित दाम में उपलब्ध होता हैं।

  1. ऑप्टिकल करेक्ट रिकग्निशन :

ऑप्टिकल करेक्ट रिकग्निशन का कार्य हैंड राइटिंग प्रिंटेड या टाइप किए गए डेटा को इलेक्ट्रोनिक वर्जन को एंकोडेड टैक्स में परिवर्तित कर देता है।

  1. मैकेनिकल इंक करेक्ट रिकग्निशन :

मैकेनिकल इंक करेक्ट रिकग्निशन वह स्कैनर होता हैं जो सिर्फ़ मैग्नेटिक इंक से लिखा गया हो जैसे की बैंक के चैक में लिखें हुए कुछ नम्बर या वर्ड जिनका हमें अध्यन नही होता है।

जब चैक को बैंक में जमा कराने के दौरान कोई भी व्यक्ति उस नंबर को पढ़ नहीं सकता और यह सिर्फ स्कैनर द्वारा पता चलता है की यह चैक किस ब्रांच का है।

तथा किस व्यक्ति का है इसी को हम मैकेनिकल इंक करेक्ट रिकग्निशन कहते हैं और इसमें अलग प्रकार की इंक का इस्तेमाल किया जाता हैं यह MICR प्रिंटर उसी इंक को पढ़ता है।

  1. बार – कोड रीडर :

bar reader

बार कोड रीडर का उपयोग ट्रेड में कैसे शोपिंग मॉल एप्पल, बज़ार, एमेजॉन आदि में काम आता है इसमें लाइनिंग होती है और चौकोर बॉक्स होता हैं।

जिसमें बार कोड के नाम पर लाइन बनी होती है जैसे सफेद उसके बाद काली इन दोनों के बीच जितना डिस्टेंस होता हैं वह स्केशल चेरेक्टर होते है जिसको बार कोड रीडर से देख सकते है।

स्कैनर का उपयोग कैसे करें :

स्कैनर को उपयोग करने के लिए सर्वप्रथम उसको बिजली से कैनेक्ट करें जिससे उसका मैन स्वीच ऑन होता हैं।

इस प्रक्रिया के बाद में डॉक्यूमेंट और फ़ोटो को बीचों-बीच रखें उसका इस्तेमाल कर दस्तावेज़ को स्कैन करें।

इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद स्कैन किये गए दस्तावेज़ को कंप्यूटर में फाइल बनाकर सावधानी पूर्वक सेव कर दें।

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अंतिम शब्द :

आशा करता हूँ की आपको Scanner क्या है की जानकारी सही लगी होगी। यदि सही लगे तो अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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